Superior Semi Circular Canal Dehiscence

Superior Semi Circular Canal Dehiscence

Superior Semi Circular Canal Dehiscence or SSCD नामक अवस्था की हाल ही में पहचान की गई है । पहली बार इसका ज़िक्र Lloyd Minor द्वारा 1998 में किया गया था । इस अवस्था में कान का अंदरूनी भाग प्रभावित होता है, जिससे auditory (श्रवण-संबंधी) एवं vestibular (कर्ण-कोटर संबंधी) लक्षण उत्पन्न होते हैं । ऐसा superior semi-circular canal (पार्श्व अर्धवृत्ताकार नलिका) में हड्डी के दोष की वजह से होता है, जिससे inner ear एवं middle cranial fossa के बीच एक स्थान बन जाता है । इस तरह के असामान्य संचार की वजह से ध्वनि तरंगो का संचारण अंदरूनी कान के द्वारा होने लगता है जिससे vertigo, असंतुलन, गिरना, श्रवण शक्ति ख़त्म होना, ध्वनि के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता, आदि लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं । Oscillopsia अर्थात् तेज ध्वनि की वजह से ऊपर-नीचे हिलने जैसा एहसास, SSCD का विशेष लक्षण होता है । इस लक्षण को Tullio’s phenomenon कहा जाता है ।


Physiology (क्रिया-विज्ञान)

आंतरिक कर्ण तरल पदार्थों का एक बंद hydraulic system होता है जिसमें दो क्रियाशील खंड होते हैं । एक खंड अंडाकार होता है जिसमे ध्वनि तरंगो का संचारण Stapes (ossicular chain) से लेकर scala vestibuli तक संभव होता है, जिसके परिणामस्वरुप Organ of Corti में कंपन होता है । दूसरा खंड गोल होता है, जिसकी वजह से ध्वनि ऊर्जा scala tympani (अंदरूनी कान) से होकर मध्य कान में तरंगो के रूप में निकलती है ।

SSCD की अवस्था में, Superior semi circular canal के पिछले हिस्से में एक अतिरिक्त खंड का गठन हो जाता है जिससे ध्वनि ऊर्जा का बंद तंत्र से रिसाव होता रहता है और वह ध्वनिक (acoustic) ऊर्जा को cochlear system (सुनने के लिए) से vestibular system (संतुलन के लिए) में हस्तांतरित करता रहता है । अतः तेज या तीव्र ध्वनि vestibular system को उत्तेजित करके vertigo अथवा असंतुलन के लक्षण उत्पन्न करती है ।

आंतरिक कर्ण की बढती हुई अनुपालना की वजह से SSCD के निम्लिखित लक्षण पैदा हो सकते हैं ।

लक्षण

SSCD के लक्षणों की प्रस्तुति स्फुटन के आकार पर निर्भर करता है । संतुलन एवं श्रवण-संबंधी लक्षण बड़े आकर के खंड स्फुटन में देखे जाते हैं, जबकि छोटे स्फुटन की अवस्था में निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण हो सकता है –

  • श्रवण शक्ति ख़त्म होना ।
  • ध्वनि के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता - मरीज़ को खुद के क़दमों की आवाज भी तेज लगती है, वे अपनी आँखों की गति को सुन सकते हैं, अगर कम्पनशील tuning fork उनकी कोहनी पर रखा जाए तो वे उसे भी सुन सकते हैं । यह लक्षण हड्डियों के बढे हुए चालन (conduction) की वजह से उत्पन्न होता है ।
  • Autophony- स्वंय की आवाज की गूंज / प्रतिध्वनि सुनाई देना ।
  • तेज ध्वनि की प्रतिक्रिया के तौर पर vertigo अथवा असंतुलन का एहसास होना (Tullio’s phenomenon) और दबाव महसूस होना ।
  • Tinnitus- यह ज्यादातर स्पंदनशील अथवा फड़कने जैसा होता है, जैसे स्वंय की धड़कन को कान में महसूस करना ।

निदान (Dignosis)

  • Videonystagmography- Nystagmus का पता valsava maneuvre के समय चलता है । Nystagmus आमतौर पर खडी अवस्था में होता है जिसमें torsional component होने की संभावना रहती है ।
  • Audiomentry- कम आवृति का श्रवण शक्ति का नुकसान – ऐसा तरल पदार्थ के गलत दिशा में गति से और दबाव के फैलाव के परिणामस्वरूप basilar membrance के विस्थापन की वजह से होता है । हड्डियों का चालन अच्छा होता है चाहे 0 db से भी बेहतर हो सकता है ।
  • Tympanometry- दबाव बढने पर घबराहट होना, प्रवाहक श्रवण शक्ति के ख़त्म होने की अवस्था में भी stapedial reflex का मौजूद होना ।
  • Vemp अर्थात Vestibular Evoked Myogenic Potential-Thresholds का कम होना SSCD की विशिष्टता होती है ।
  • HRCT Temporal Bone- SSCD के निश्चित निदान के लिए तथा शल्य क्रिया की योजना बनाने के लिए जिस स्थान पर विच्छेद हुआ हो उसे पहचानना अति आवश्यक होता है । Canal के plane में पुनर्निर्माण करके (porchl’s plane) तथा उसे Canal के 90० पर रखकर (Stenver’s Plane) CT Scan किया जाना चाहिए ।

किसी भी छोटे से छोटे विकार को नज़रअंदाज़ न किया जा सके, इसके लिए 0.5 mm के छोटे-छोटे चीरे लगाने चाहिए ।

उपचार

मरीज़ को उसकी हालत समझाने के बाद 2 प्रकार के उपचार के विकल्पों पर चर्चा की जानी चाहिए

  • रुढ़िवादी दृष्टिकोण (Conservative approach) - कुछ मरीजों के लिए महज उनके रोग की स्थिति जान लेना तथा उससे क्या लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, यह समझ लेने से ही उनकी उत्सुकता तथा चिंता शांत हो जाती है और वे अपने बिमारी के लक्षणों को बर्दाश्त कर लेते है ।
  • शल्य क्रिया (Surgery) - इसमें अर्धवृत्ताकार नलिका के दोष को दूर किया जाता है । इससे 3rd window effect अर्थात तृतीय खंड प्रभाव ख़त्म हो जाता है । ऐसा mastoid या middle fossa approach के द्वारा किया जा सकता है ।

हालाँकि mastoid approach में श्रवण शक्ति का थोड़ा नुकसान होने का खतरा रहता है, परन्तु ज्यादातर कान के डॉक्टर middle fossa approach की अपेक्षाकृत यह सर्जरी करने में ज्यादा सुविधाजनक महसूस करते हैं ।


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