Accoustic Neuroma

ACOUSTIC NEUROMA

Acoustic Neuroma, जिसे Vestibular Schwannoma भी कहते हैं, Vestibulocochlear नलिका में धीरे–धीरे बढ़ने वाली कैंसरमुक्त गाँठ होती है । यह नलिका श्रवण एवं संतुलन सम्बन्धी आवेगों को कान से दिमाग तक संचालित करती है । हाल ही में प्रस्तावित किया गया है कि Acoustic Neuroma के मरीज़ों के 22वें क्रोमोसोम के जीन ख़राब होते हैं । यह जीन एक खास तरह का ट्यूमर निरोधी प्रोटीन बनाता है, जो कि schwan कोशिकाओं को बढ़ने से नियंत्रित करता है । ये ट्यूमर (गाँठ) schwan कोशिकाओं से बनती है, जो स्नायु तंत्र को ढकता है ।

चूँकि गाँठ धीरे-धीरे बढ़ती है, इसलिये मरीज़ में इसके लक्षण भी बहुत धीरे-धीरे दिखाई देते हैं । मरीज़ को आमतौर पर होने वाली शिकायतें निम्नलिखित हो सकती हैं ।
  • श्रवण शक्ति ख़त्म होना : सामान्यतया एक ही कान में ऐसा होता है । मरीज़ को धीरे-धीरे सुनाई देना बंद हो जाता है
  • Tinnitus : एक कान में घंटी बजने जैसी या भिनभिनाहट जैसी आवाज़ बजती रहती है ।
  • चेहरा सुन्न पड़ जाना, कमजोरी महसूस होना या चेहरे पर झनझनाहट होना ।
  • असंतुलन की अवस्था : इस तरह के मरीजों में आमतौर पर स्पष्टतया vertigo अथवा चक्कर आने जैसे एहसास दिखाई देते हैं ।
  • स्वाद परिवर्तन महसूस होना ।
  • निगलने में मुश्किल होना ।
  • आवाज़ बदल जाना ।

अंतिम तीन लक्षण बीमारी के अंतिम चरण में या तेज़ी से बढने वाले ट्यूमर में देखे जाते हैं । चूँकि इसकी जाँच भ्रमित करने वाली होती है, इन ट्यूमर का पता अक्सर बहुत विकसित होने के बाद ही चलता है ।

निदान

  • Audiomentry : एक कान में Sensorineural बहरापन Acoustic Neuroma के मरीजों में खास तौर पर पाया जाता है ।
  • Video Nystagmography (VNG) : इस परिक्षण से कई बार अग्रिम चरण में ही स्वाभाविक Nystagmus जैसी विषमताएं दिख जाती हैं जो की खड़े होने पर, दिशा परिवर्तन करने पर होने वाला अथवा Hyperventitation की वजह से होने वाला Nystagmus हो सकता है ।
  • MRI ब्रेन : MRI के द्वरा मष्तिष्क की imaging की जाती है तथा मरीज़ को इंजेक्शन दिया जाता है । यह तकनीक 1-2 mm जैसी छोटी से छोटी गाँठ की भी जाँच करने के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है । CT स्कैन को इसके लिए उपयुक्त नही माना जाता क्योंकि उसमें छोटी ट्यूमर का पता नहीं चल पाता ।
  • ABR : श्रवण तंत्र के विभिन्न भागों में धव्नि आवेगों के संचालन का आकलन करने के लिए (Auditory brainsten जनित response audiometry) नामक अति संवेंदनशील परीक्षण किया जाता है Acoustic Neuroma के मरीजों में ABR के अलग-अलग नतीजे हो सकते हैं जैसे लम्बे समय तक छुपे हुए interaural wave V.

इलाज़

Acoustic Neuroma हानिरहित ट्यूमर होते हैं जो की धीमी गति से बढ़ते हैं अतः उनकी वृद्धि की की निगरानी करने हेतु क्रयबद्ध MRI की जाती हैं । निम्नलिखित स्थितियों में पारंपरिक तरीके अपनाए जाते हैं –

  • 0.5 cm से छोटे ट्यूमर जिनमें कोई neurological संकेत नहीं होते ।
  • उम्रदराज़ मरीज़ों को सर्जरी से जुड़े अन्य रोंगों के खतरे से बचना चाहिए, बशर्ते की उनमें कोई cerebellar signs दिखाई न दें ।
  • जिस कान से सुनाई देता हो, उसी में ट्यूमर होना ।
  • मरीज़ की सामान्य स्थिति ख़राब होना ।

हालाँकि ऐसे ट्यूमर जिनसे संकुचन के लक्षण दिखाई देते हों, उनके उपचार के लिए अन्य आक्रामक विकल्प की जरुरत होती है । उपचार के दो मुख्य तरीके हैं – सर्जरी एवं विकिरण चिकित्सा ।

सर्जरी / शल्य क्रिया

इसमें ट्यूमर को अनावृत करने तथा उसे हटाने पर जोर दिया जाता है । उपचार का दृष्टिकोण मरीज़ की श्रवण शक्ति के नुकसान, ट्यूमर के आकार तथा मरीज़ की सामान्य स्तिथि के आधार पर तय किया जाता है । सर्जरी के तीन मुख्य दृष्टिकोण होते हैं –

  • Translabyrithine Approach : इस दृष्टिकोण को सामान्यतया 3 सेमी से बड़ी ट्यूमर के लिए अपनाया जाता है । कान के पीछे चिर लगाया जाता है तथा Mastoid बोन को ड्रिल किया जाता है इस पद्धति में चेहरे की तंत्रिका को कम से कम हानि का खतरा होता है । इस पद्धति का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे श्रवण शक्ति पूरी तरह ख़त्म हो सकती है ।
  • Retrosigmoid – Retrolabyrinthine Sub-Occipital Approach : इस पद्धति को किसी भी आकार के ट्यूमर के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है । इसमें श्रवण शक्ति को संरक्षित करने का भी लाभ रहता है । इस तकनीक में कान के थोड़ा ज्यादा पीछे की तरफ खोपड़ी में चीरा लगाया जाता है ।
  • Middle Fossa Approach : इस पध्दति को 0.5 से.मी. से भी कम आकार के ट्यूमर के लिए तरजीह दी जाती है ।
  • Endoscopic Resection : चिकित्सक एंडोस्कोप की मदद से खोपड़ी में बनाये गए छोटे से छिद्र में से ट्यूमर को बाहर निकलता है । यह तकनीक विश्व में गिने चुने केन्द्रों पर ही उपलब्ध होती है तथा इसके लिए चिकित्सक अत्यधिक कुशल एवं प्रशिक्षित होना चाहिए ।

विकिरण

विकिरण का इस्तेमाल ट्यूमर कोशिकाओं को संकुचित करके मारने के लिए किया जाता है । इसकी सलाह मरीज़ की उम्र, आकार शारीर की सामान्य स्थिति आदि के आधार पर दी जाती है । अगर ट्यूमर तक पहुँचना मुश्किल होता है, तो विकिरण की मदद से उसे संकुचित करके उसका आकार कम किया जाता है । दो प्रकार के विकिरण दिए जा सकते हैं –

  • Stereotactic Radio Surgery : एक सटीक लक्षित विकिरण के द्वारा ट्यूमर को इस तरह से संकुचित किया जाता है, जिससे आसपास की महत्वपूर्ण संरचनाओं को नुकसान न पहुंचे । आमतौर पर इस पध्दति को एक दिन में पूरा कर लिया जाता है ।
  • Intensity Modulation Radiation Theropy (IMRT) : इस तकनीक में ट्यूमर के सटीक आयाम और स्थान की जानकारी मशीन के सॉफ्टवेयर में डाले जाने के आधार पर विकिरण की उच्च ख़ुराक ट्यूमर पर डाली जाती है । यह पद्धति एकदम सुरक्षित मानी जाती है ।
  • Image Guided Radiation Theropy(IGRT) : इस तकनीक में CT स्कैन के द्वारा ट्यूमर का वास्तविक चित्रण देखा जाता है तथा उस पर सटीक विकिरण डाला जाता है । इस तकनीक में मरीज़ के इलाज़ के दौरान हिलने से भी कोई ख़तरा नहीं होता ।

 

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